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Thursday, July 16, 2020

बस्ती : जिले में शुरू हुआ दस्तक अभियान, टीम घर-घर जाकर बता रही हैं एईएस व जेई के लक्षण व बचाव के तरीके

बस्ती l जिले में गुरुवार से दस्तक अभियान का आगाज हुआ। इस बार आशा बिना कुंडी खटखटाए ही संचारी रोग से बचाव का संदेश देंगी। पिछले तीन सालों से चलाए जा रहे दस्तक अभियान के कारण जेई व एईएस पर काफी हद तक काबू पाया जा सका है। इस बार दस्तक में बदलाव करते हुए कोविड-19 को भी शामिल किया गया है। दस्तक अभियान में लगभग 2300 आशाओं को लगाया गया है। इनका सहयोग आंगनबाड़ी करेंगी। 


इस बार अभियान का रूप बदला हुआ है। आशा को किसी के घर पहुंचकर न तो कुंडी खटखटानी है और न ही पिछले अभियान की तरह घर के अंदर जाकर मच्छरों के पैदा होने के सोर्स को खोजकर उसका निदान कराना है। आशा आवाज देकर घर वालों को बुलाएगी। जिला मलेरिया अधिकारी आईए अंसारी ने बताया कि जेई व इंसफलाईलिस पूर्वांचल के लिए अभिशाप बना हुआ था। इसकी सबसे बड़ी वजह इस क्षेत्र में इस रोग के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण व लोगों को रोग के बारे में जानकारी न होना था। दस्तक अभियान ने पूरी तस्वीर बदल दी है। आशा 15 साल से कम उम्र वाले घर जाकर घर वालों को जेई व एईएस के लक्षण बताने के साथ ही रोग होने की दशा में बचाव के तरीके भी बताएंगी। 


घर में प्रमुख स्थान पर स्टीकर लगाएंगी तथा यह सुनिश्चित करेंगी कि घर में किसी को बुखार होने की दशा में उसे नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर दिखाया जाए। इस रोग का शिकार सबसे ज्यादा पांच साल तक के बच्चे होते हैं। ज्यादातर मामलों में अब देखा जा रहा है कि शिकायत होते ही लोग निकटतम ईटीसी सेंटर या जिला अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड पहुंच रहे हैं। समय से इलाज शुरू होने पर स्वस्थ्य होने की संभावना ज्यादा होती है। इस बार लोगों को कोरोना के संबंध में भी जागरूक किया जाएगा। मॉस्क लगाने, फिजिकल डिस्टेंसिंग आदि पर विशेष जोर रहेगा।


तीन सीएचसी में है मिनी पीआईसीयू


जिले की हर्रैया, गौर व कुदरहा में तीन-तीन बेड का मिनी पीआईसीयू संचालित है। इसके अलावा जिला अस्पताल में 15 बेड का पीआईसीयू चल रहा है। सभी बेड पर वेंटीलेटर लगाया गया है। इसी के साथ सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों में ईटीसी वार्ड बनाए गए हैं। यहां पर प्रशिक्षित स्टॉफ की तैनाती के साथ ही जीवन रक्षक उपकरणों की व्यवस्था की गई है। जेई व एईएस के मरीज के लिए 108 व 102 एम्बुलेंस की सेवा उपलब्ध है। जुलाई से इस रोग के ज्यादा फैलने की संभावना होती है।


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