बस्ती। पं0 जसराज मिश्र हिन्दूस्तानी शास्त्रीय संगीत के पुरोधा थे। उनके निधन से संगीत जगत को गहरा आघात पहुंचा है। संगीत मार्तण्ड पं0 जसराज उनके रसराज के श्रृंगारिक राग से न केवल प्रकृति बल्कि जीव जन्तु भी सम्मोहित हो जाते थे। उनका निधन संकीर्तन परम्परा और अष्टछाप गायकी के युग का अंत हो गया।
पं0 ज्वाला प्रसाद संगीत सेवा संस्थान में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए संगीत शिक्षक राजेश आर्य ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन शास्त्रीय संगीत के लिए अर्पित कर दिया था। पं0 जसराज जी के गायकी से श्रोताओं के मन को आनन्द विभोर कर देता था। उन्होंने कहा कि ऐसे गायक धरती पर कभी-कभी पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि पं0 जसराज जी गायकी में मेवाती घराने का ख्याल भी पिछले कई दशकों से झलकता था। उनकी गायकी बेजोड़ थी। संगीत साधकों को एक प्रेरणा देती थी।
प्रबन्धक विनोद कुमार उपाध्याय एवं संतोष श्रीवास्तव ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनको कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी आवाज इस धरती पर सदियों तक गूंजती रहेगी।
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