*विश्वकर्मा पूजन के बिना नहीं होता किसी तकनीकी कार्य का शुभारंभ-पंडित आत्माराम*
जो लोग निर्माण और सृजन के क्षेत्र से
पं. आत्मा राम पांडेय जी केaअनुसार कन्या संक्रांति 17सितंबर, गुरुवार को है। जिसके चलते इस बार विश्वकर्मा पूजा गुरुवार यानि 17 सितंबर को मनाया जाएगा इस दिन विधिपूर्वक भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से रोजगार और बिजनेस में तरक्की मिलती है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पी कहा जाता है। वे निर्माण एवं सृजन के देवता हैं। वे संसार के पहले इंजीनियर और वास्तुकार कहे जाते हैं।
विश्वकर्मा पूजा विशेष - 17 सितंबर को सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर कन्या संक्रांति का क्षण है। इस समय पर सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। कन्या संक्रांति के साथ ही विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त है। पूजा के समय राहुकाल का ध्यान रखना होता है। जो दिन में 1:30 से 3:00तक है। इस काल में पूजा ना करें।
वास्तुदेव और माता अंगिरसी की संतान भगवान विश्वकर्मा हैं। वे शिल्पकारों और रचनाकारों के ईष्ट देव हैं। उन्होंने सृष्टि की रचना में ब्रह्मा जी की मदद की तथा पूरे संसार का मानचित्र बनाया था। भगवान विश्वकर्मा ने स्वर्ग लोक, श्रीकृष्ण की नगरी द्वारिका, सोने की लंका, पुरी मंदिर के लिए भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्तियों, इंद्र के अस्त्र वज्र आदि का निर्माण किया था। ऋगवेद में उनके महत्व का पूर्ण वर्णन मिलता है।
इस दिन उद्योगों, फैक्ट्रियों और हर तरह के मशीन की पूजा की जाती है।
गुरु जी ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा ने देवताओं के लिए अस्त्रों, शस्त्रों, भवनों और मंदिरों का निर्माण किया था। इस दिन विश्वकर्मा पूजा सभी कलाकारों, बुनकर, शिल्पकारों और औद्योगिक घरानों द्वारा की जाती है। लेकिन इस दिन पूजा करते समय कुछ खास नियम बताए गए हैं। जिनका पालन करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
विश्वकर्मा पूजा से जुड़े नियम-
-विश्वकर्मा पूजा करने वाले सभी लोगों को इस दिन अपने कारखाने, फैक्ट्रियां बंद रखनी चाहिए।
- विश्वकर्मा पूजा के दिन अपनी मशीनों, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत होती है।
-विश्वकर्मा पूजा के दिन औजारों और मशानों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
-विश्वकर्मा पूजा के दिन तामसिक भोजन (मांस-मदिरा) का सेवन नहीं करना चाहिए।
-विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने रोजगार में वृद्धि करने के लिए गरीब और असहाय लोगों को दान-दक्षिणा जरूर दें।
-विश्वकर्मा पूजा के दिन अपने बिजली उपकरण, गाड़ी की सफाई भी करें।
मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाया था। इन्हें निर्माण का देवता कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी, शिव जी का त्रिशूल, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, सोने की लंका को भी विश्वकर्मा भगवान ने बनाया था। अत: इसी श्रद्धा भाव से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।
पं. आत्मा राम पांडेय "काशी"
9838211412
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