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Wednesday, April 21, 2021

हर एक गम तेरा ऐ मुफलिसी भुलाना है, इसीलिए तो मुझे मैंकदे में जाना है

 हर एक गम तेरा ऐ मुफलिसी भुलाना है

इसीलिए तो मुझे मैंकदे में जाना है


हसीन गुल का तो दीवाना ये जमाना है

हमारा दिल ही नही आपका दीवाना है


तमाम शहर में तनहा यही फसाना है

मैं उसका और वो दिल से मेरा दीवाना है


यही हर एक तरफ आजकल फसाना है

बस आज मंदिरों मस्जिदों में ही खजाना है


जमाने भर की यहां उलझनों का है डेरा

ये मेरा दिल है या कोई भंगार खाना है


हमारी कब्र के सरहाने नाम अपना नहीं

तुम्हारे नाम की तख्ती हमें लगाना है


किसी बुजुर्ग की बातों को अहमियत क्यों दें

वो जिनको सोच समझकर फरेब खाना है


भलाई कर तो रहे हो किसी के साथ मगर

भलाई करने का जर्रार क्या जमाना है


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जख्म जिस सख्स से मिला होगा

वो कोई आपका सगा होगा


इश्क में और दोस्त क्या होगा

दिल का टूटा ही आईना होगा


उनसे जिस वक्त राबता होगा

सोचता हूं मैं कुछ नया होगा


अपना अपना जमीर है साहब

हर कोई कैसे बा वफा होगा


कैसा ईमान तेरा ढुलमुल है

कोई इंसान क्या खुदा होगा


फैसला किसके हक में होना है

तय तो पहले ही हो गया होगा 


जाने दिल को है क्यूँ गुमां जर्रार

मुन्तजिर अब भी वो मेरा होगा

                    


             जर्रार तिलहरी

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