दुर्गाष्टमी व रामनवमी पर्व की कुछ खास बातें,जाने आचार्य अच्युतानंद शास्त्री जी महाराज से
नवरात्रि के पावन पर्व पर विशेष
20 अप्रैल मंगलवार को दुर्गा अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
21 अप्रैल बुधवार को राम जन्मोत्सव रामनवमी का पर्व है।
जो भी जातक दुर्गा अष्टमी का व्रत पूजन शुद्ध भाव से श्रद्धा पूर्वक करते हैं। उनकी सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं। वर्तमान में संपूर्ण भारतवर्ष वैश्विक महामारी कोरोना से पीड़ित है हर कोई भयभीत है ऐसे में हमें अपनी आस्था को दोगुना करके माता रानी से कोरोना जैसी महामारी को समाप्त करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
प्राचीन काल से ही सनातन धर्म में पूजा पाठ, मंत्रोच्चारण, हवन आदि से बहुत सारी बीमारियों को नियंत्रित किया जा चुका है।
यह हमारा इतिहास बताता है। हम सभी को प्रयास करना चाहिए दुर्गाष्टमी व रामनवमी के अवसर पर अपने घरों में हवन अवश्य करें।जिससे कि हमारे आसपास का वातावरण शुद्ध होगा और सभी प्रकार के बैक्टीरिया कीटाणु नष्ट होंगे।
अष्टमी तिथि पूजा शुभ मुहूर्त
19 अप्रैल 2021 रात्रि 12 बजकर 02 मिनट के बाद से अष्टमी तिथि शुरू हो जायेगी। जो कि 20 अप्रैल को पूरे दिन रहेगी और 21 अप्रैल रात्रि 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। तत्पश्चात राम नवमी प्रारंभ।
प्रातःकाल उठकर घर की साफ-सफाई करें स्नान करें और फिर पूजा स्थान को साफ सुथरा करके वहां गंगाजल का छिड़काव करें
फिर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर रखें। मां दुर्गा को पंचगव्य से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएं,मां दुर्गा को सोलह सिंगार अर्पित करें, मां दुर्गा के समक्ष धूप दीप जलाएं और उन्हें अक्षत,चंदन, सिन्दूर और लाल फूल अर्पित करें। पंचामृत, पंचमेवा, पंच मीठाई, फल का भोग अर्पित करें।दुर्गा सप्तशती दुर्गा चालीसा का पाठ करें। व इन मंत्रों का पाठ करें।
1- श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
2- या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। तत्पश्चात घी के दीपक में 8 बत्तियां जला कर माता दुर्गा की आरती करें।
दुर्गाष्टमी की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सदियों पहले पृथ्वी पर असुर बहुत शक्तिशाली हो गए थे और वह स्वर्ग पर चढ़ाई करने लगे। उन्होंने कई देवताओं को मार डाला और स्वर्ग में तबाही मचा दी। इन सबमें सबसे शक्तिशाली असुर महिषासुर था। भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा ने शक्ति स्वरूप देवी दुर्गा को बनाया। हर देवता ने देवी दुर्गा को विशेष हथियार प्रदान किया। इसके बाद आदिशक्ति दुर्गा ने पृथ्वी पर आकर असुरों का वध किया। मां दुर्गा ने महिषासुर की सेना के साथ युद्ध किया और अंत में उसे मार दिया। उस दिन से दुर्गा अष्टमी का पर्व प्रारम्भ हुआ।
मार्कंडेय पुराण में अष्टमी पर देवी पूजा का महत्व बताते हुए कहा गया है कि इस दिन देवी पूजा से हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन कन्या पूजन और भोजन का सबसे ज्यादा महत्व है। इस बार कोरोना महामारी के कारण अष्टमी पर कन्या पूजा और भोज करवाना संभव नहीं है। धर्मानुसार आपको बताती हूं कि आपदा काल में इस बार यदि दुर्गाष्टमी के दिन कन्या पूजन या कन्या भोजन नही करा पाएं तो भी इसका दोष नहीं लगेगा। माता के प्रसाद का कोई उचित पात्र ना मिले तो निराश न हो माता को याद करके गाय को भोग समर्पित करें। प्रसाद का कुछ हिस्सा माता का ध्यान करते हुए गाय को खिला दें। या आप शुद्ध मन से भोग का सूखा सामान किसी जरूरतमंद कन्या के घर भिजवा दे। अथवा दक्षिणा और नारियल उठा कर रख दें। बाद में किसी कन्या को दे सकते हैं।
राम नवमी मुहुर्त व पूजा विधि
राम नवमी का पर्व भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है पौराणिक मान्यता के अनुसार रामचंद्र जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी की तिथि पर हुआ था इस वर्ष चैत्र शुक्ल की नवमी की तिथि 21 अप्रैल बुधवार को मनाया जाएगा। भगवान राम की शिक्षाएं और दर्शन को अपनाकर जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। भगवान राम को मर्यादा पुरूषोत्तम कहा गया है। भगवान राम जीवन को उच्च आर्दशों के साथ जीने की प्रेरणा देते हैं। राम नवमी के पावन पर्व पर भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है, व्रत रख कर भगवान राम की आराधना करने से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है। भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है।
नवमी तिथि 21 अप्रैल रात्रि 12 बजकर 45 मिनट से प्रारम्भ होगी। पूजा शुभ मुहूर्त 21 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक बना हुआ है।
घर के मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की स्थापना करें, गंगाजल से स्नान कराने के उपरांत पीले वस्त्र अर्पित करें अक्षत, रोली, कुमकुम, पंचमेवा पंच मिठाई, पीले फल,अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं। श्रीराम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद रामायण और राम रक्षास्त्रोत का पाठ करें और राम नवमी के शुभ अवसर पर 'रां रामाय नम:' मंत्र का जप करने से राज्य,लक्ष्मी, पुत्र, आरोग्य की प्राप्ति के साथ विपत्तियों की नाश हो जाता है तत्पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराएं और पीले वस्त्र आदि दान कर सकते हैं।
कन्या पूजन दुर्गाष्टमी व रामनवमी दोनों ही दिन किया जा सकता है
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